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मां के लिए

कितनी मासूमियत से पुछा जाता है माँ से वो सवाल। बचपन की तस्वीर को देखकर , "ये मैं हूं ?
ओर बरसो से संभाले हुए उस प्यार को माँ बस एक " हाँ " में सजाकर देती है
वो  सारे किस्से जो सुने होते है पहले भी
उसे मां , फिर से ताजा कर देती है
माँ की छांव में ना जाने हम कितने गुनाह करते थे , जब भी छोटे से छोटा घाव भी लगे, बस माँ, माँ करते थे !
पापा भी खुश होते है, माँ के चेहरे पर मुस्कान जो होती है!
पता नहीं क्यूँ, माँ की गोद में आज भी, मेरी आँखें बचपन पी एल जैसे ख्वाब पिरोती है !!
इन लम्हों को सिमेटे मेरा दिन , मेरा दिल ख्वुश मिज़ाज रहता हैं !!
थकान सारी माँ की गोद में ही रह जाती है, जादू जो भी हो, आज भी राज़ रहता है !!

Suryajeet Singh "Tushar"

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3 Comments

kashish

03-Feb-2023 02:17 PM

very nice

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Seema Priyadarshini sahay

10-Jan-2022 01:58 AM

बहुत खूबसूरत

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बेहतरीन जज्बात...!

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